Tuesday, February 28, 2012

कभी कभी..

कभी कभी मेरे हिंदुस्तानी दिल में खयाल आता है
कि फुक्कट खाणे वालो को भी तो मज्जाच आता है
बिना तिकीट वालों को, घोटाळा करणे वालों को
दंगा करणे वालों को भी तो मज्जाच आता हैं
फिर क्यो बजाये हम शहनाई सच्चाई कि रातोमे?
कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है कि
बस क्या यार सत्या, तेरे दिलमे कुछभी खयाल आता है ...
-सत्यजित खारकर

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